TOP GUIDELINES OF SIDH KUNJIKA

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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः

इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे। अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः

ऐङ्कारी सृष्टिरूपायै ह्रीङ्कारी प्रतिपालिका ।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः

दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः

सरसों के तेल का दीपक है तो बाईं ओर रखें. पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठें.

अगर किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र कर रहे हैं तो हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर जितने पाठ एक दिन sidh kunjika में कर सकते हैं उसका संकल्प लें.

श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।

श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)

हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।

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